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उझानी में सेहत से खिलवाड़ -खराब दाल चमकाकर धंधेबाज मालामाल

उझानी बदांयू 9 फरवरी।

अगर आप दालों की चमक पर गए तो सेहत खराब हो जाएगी। खराब गुणवत्ता वाली दाल को चमकदार बनाकर धंधेबाजों ने बाजार में उतार दी हैं। ज्यादातर दाल बरेली ,आगरा,हाथरस मंडी से आ रही है। पॉलिश करने से दाल की चमक बढ़ जाती है। इससे कोई समझ नहीं पता है।

खराब दाल को ताजा और चमकीला दिखाने के लिए उसमें काफी मात्रा में रंग मिलाकर उसे पॉलिश कर दिया जाता है, जिससे इसकी सूरत तो बदल जा रही है, लेकिन इस्तेमाल करने पर यह नुकसानदायक है। पॉलिश की हुई दाल के खेल को समझने के लिए मंडी के जानकारों से संपर्क करना पड़ा। शहर के अलावा बाईकों पर देहात क्षेत्र व कस्बों में दाल बेचने का एक चलन सा पड गया है। सूत्रों से पता चला कि दाल में मिलावट और रंगी हुई दाल की बिक्री तेज है।

जिले में उत्पादन से अधिक दाल की खपत है। दाल की निर्भरता पूरी तरह से बरेली व दिल्ली की मंडी पर है। इसका फायदा धंधेबाज उठा रहे हैं। बाहर से सस्ती दाल लेकर, वहां इनकी छिलाई व रंगाई करके नए पैकेट में डाल देते हैं। धंधेबाज साबुत मूंग को रंगकर साबुत उड़द बना देते हैं। हाथरस,आगरा, बरेली से दाल अधिक मंगाई जा रही है। व्यापारी बताते हैं कि अरहर की दाल मध्य प्रदेश से अधिक आती है।
दिल्ली से मूंंग और उड़द की दाल मंगाई जाती है। इसके अलावा लोकल क्वालिटी की दाल बरेली से मंगाई जाती है। एक अनुमान के अनुसार, रोजाना कुंतलों दाल की खपत होती है। पॉलिश दाल को देखकर हर कोई समझ नहीं पाएगा। चमकदार होने के कारण लोग इसकी ओर आकर्षित होते हैं। शहर से गांव के कस्बे के बाजारों में यह दाल चुनिंदा गोदामों में रखी जा रही है।
मांग के अनुसार इसे बाहर निकाला जाता है। कारोबारी कहते हैं कि चंद रुपयों के लाभ के लिए सेहत से खिलवाड़ करना ठीक नहीं है। सभी कारोबारी ऐसा नहीं करते हैं। चंद लोगों के वजह से ईमानदार कारोबारियों की छबि खराब हो रही है।—————————– राजेश वार्ष्णेय एमके

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