12:36 pm Sunday , 25 May 2025
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वरिष्ठ साहित्यकार डा कमला माहेश्वरी द्वारा आजादी के दीवानों पर बदायूं एक्सप्रेस की सराहना

एकदम कटु सत्य ,यथार्थ तथ्य । हम भूल गये हैं ,कि इस देश की आजादी को पाने हेतु न जाने कितने वीरों ने स्वयं को न्योछावर कर दिया । न जाने कितने दीवाने ने स्वयं कण्ठ में फाँसी का फंदा डाल इन्कलाब , जिंदाबाद के नारे दे ख़ुद को मिटा दिया । हो गये संसार से विदा ,इस आशा और विश्वास में कि आगामी पीढ़ी देश को वरीयता देगी, लेकिन स्वार्थान्धों ने ऐसा कुछ नहीं किया। उन्हें तो आजादी मुफ़्त में मिल गई न । वो क्या जानेंगे इस आजादी की असली कीमत । पूछो उस मांँ से, जिसके लाल एक दिन पहले ही फांँसी के फन्दे पर चढ़ा दिए गए थे । टुकड़े- टुकड़े कर रावी नदी में फेंक दिए गए थे । नदी का जल लाल हो गया था। नदी भी फूट-फूट कर रोई थी , पर हृदयहीनों के हृदय का क्या ? क्यों याद करें । वे माता-पिता याद करेंगे जिनके लाल गए हैं । हमारा क्या गया जो हम याद करें । हम सत्तावान हैं । हमारी सत्ता रहनी चाहिए।
किसी ने सच कहा है कि बूढ़ा मरे या ज्वान । मोय हत्या से काम । 😭🙏🙏🙏🙏🙏

शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की कहानी से दूरी की कौन सी है मजबूरी ?

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