राम-सीता विवाह का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु हुए भाव विभोर
बिल्सी। नगर की श्री रामकृष्ण समिति के तत्वावधान में माहेश्वरी भवन में चल रही श्रीराम कथा के आठवें दिन ऋषिकेश से पधारे सन्त अयोध्यादास जी रामायणी ने श्री रामचरित मानस की कथा में राम-सीता विवाह प्रसंग सुनाया। कथावाचक ने श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा- महाराजा को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता एवं राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे ही प्रभु राम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे। कथावाचक ने इसके अलावा अन्य प्रसंग भी सुनाए। इस मौके पर नरेन्द्र गरल, चन्द्रपाल तोष्नीवाल, सत्यपाल वार्ष्णेय, लोकेश बाबू, मनोज वार्ष्णेय, दिनेश बाबू वार्ष्णेय, शिवओम माहेश्वरी, संजीव वार्ष्णेय, नीरज माहेश्वरी, दुर्गेश बाबू, आशीष वशिष्ठ आदि मौजूद रहे।