ओम नमः शिवाय डा.वी.पी.सिंह सोलंकी इंटर कॉलेज रोहान बदायूं में, अमर शहीद क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह जी की 116वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विद्यालय प्रधानाचार्य राजवीर सिंह सोलंकी ने सरदार भगत सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को बताया कि सरदार भगत सिंह जी का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर के बांगा गांव के एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। पिता किशन सिंह अंग्रेज और उनकी शिक्षा को पहले से ही पसंद नहीं करते थे इसलिए बांगा में गांव के स्कूल में शुरुआती पढ़ाई के बाद भगत सिंह को लाहौर के दयानंद एंग्लो-वैदिक स्कूल में दाखिला दिलवा दिया गया। भगत सिंह सिख धर्म से थे। जिसमें पगड़ी और दाढ़ी रखना बहुत जरूरी होता है लेकिन उन्होंने अंग्रेजों की नजर से बचने के लिए कटवा दिए थे। लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए इन्होंने अंग्रेज पुलिस अधिकारी सांडर्स को मौत के घाट उतार दिया था। सॉन्डर्स की हत्या के लगभग एक साल बाद उन्होंने अपने सहयोगी बटुकेश्वर दत्त के साथ दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंके और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे। यहीं पर स्वेच्छा से उन्होंने अपनी गिरफ्तारी भी दी।भगत सिंह गिरफ्तारी के बाद जेल में भी देश की स्वतंत्रता को लेकर कैदियों को प्रेरित करते रहे जिसको लेकर अंग्रेजी हुकूमत परेशान हुई। उनके ऊपर जब केस चला तो उन्होंने कोई भी बचाव अपनी ओर से पेश नहीं किया था। इस दौरान भी वो लगातार आजादी को लेकर लोगों को प्रेरित करते रहे। सरदार भगत सिंह ने अंग्रेजी सरकार से पूर्ण स्वराज की मांग की थी । उसे समय अंग्रेजी सरकार, सरदार भगत सिंह के नाम से थर थर कांपती थी। इसीलिए अंग्रेजी अदालत ने सरदार भगत सिंह को फांसी कीी सजा सुनाई,व 23 मार्च1931 को सरदार भगत सिंह जी अपनेे साथी सुखदेव व राजगुरू के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम कर शहीद हो गए ।
इस अवसर पर सुनील कुमार सिंह, आकाश पटेल ,राजेश कुमार सिंह , वीर बहादुर , कृष्ण शर्मा, राजकुमार, रजत सक्सेना आदि उपस्थित रहे।