3:53 am Friday , 23 May 2025
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छात्राऐं नहीं हैं, छात्रों से कम– सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

छात्राऐं नहीं हैं, छात्रों से कम– सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं।

उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुक्रम में माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के निर्देशानुपालन में दिनांकः 06.02.2025 को समय पूर्वान्ह 11:00 बजे से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्वारा लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा और किशोर न्याय, एवं वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के सम्बन्ध में विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविर का आयोजन राजकीय पॉलीटेकनिक कॉलेज, जनपद बदायूं में किया गया है।

उक्त शिविर का शुभारम्भ श्रीमान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायू श्रीमती शिव कुमारी की अध्यक्षता में किया गया कार्यक्रम का प्रारम्भ में राजकीय पॉलीटेकनिक कॉलेज, जनपद बदायूं प्रधानाचार्य, श्री सुरेश कुमार आजाद द्वारा अपने वक्वव्ध में कार्यक्रम में बदायू उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों के बारे में बताया गया एवं महिलाओं के प्रति घरेलु हिंसा से सम्बन्धित विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी।

अनुदेशक, श्री राजेश द्वारा अपने कार्यक्रम में उपस्थित सभी छात्र-छत्राओं को हाने वाली घरेलू हिंसा एवं दहेज उत्पीडन के बार में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी।

अनुदेशक कला संकाय, श्री मनोज अग्रवाल, द्वारा अपने वक्तव्य में बताया गया कि वर्तमान में विद्यालय में प्रवेश के दौरान महिला आरक्षित सीट रिक्त रह जाती है क्योंकि आरक्षित सीटों के सापेक्ष पर्याप्त आवेदन नहीं किये जाते हैं यद्धपि उक्त सीटों को छात्रों द्वारा भरी जाती है. इस असमानता को दूर करने के लिए समाज में प्रत्येक व्यक्ति को महिलाओं की तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु जागरूक होना चाहिए।

अनुदेशक विज्ञान संकाय, एस०सी०शर्मा, द्वारा अपने वक्तव्य में बताया कि बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति सभी स्थलो पर लैंगिक असमानता का भेदभाव अधिक पाया जाता है।

प्रवक्ता, श्रीमती आराधना कंचन द्वारा अपने वक्तव्य में बताया कि बालिकाओं/महिलाओं एवं लड़कों में अन्तर नहीं करना चाहिए, बालिकाओं/महिलाओं को झांसी की रानी बनना चाहिए, महिलाओं को भी अपने अधिकार का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।

श्रीमती शिव कुमारी, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्वारा अपने वक्तव्य में बताया कि भारतीय संविधान में वर्णित अनुच्छेद 15 लिगानुपात भेदभाव एवं साथ ही कार्यकग में उपस्थित छात्र-छात्राओं से आह्नावान किया गया कि अपने आस-पास के परिवेश में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं में स्थापित लीगल एड क्लीनिक में अपनी समस्याओं के निराकरण हेतु निःशुल्क विधिक सहायता के सन्दर्भ में आवेदन कर सकते है एव पोक्सो एक्ट के वारे में बताया व नये तीन कानून के चारे में बताया एवं घरेलू हिंसा अधिनियम, यौन उत्पीडन से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम 2013 POSII अधिनियम के अन्तर्गत विस्तार पूर्वक बताया एवं मारपीट करना ही घरेलू हिसा नहीं होती है आर्थिक तरीके से भी प्रताड़ित करना भी घरेलू हिंसा होती है, इसी क्रम में बालिकाओं को सुनीता विलियम्स व कल्पना बावला बछेन्द्री पाल पीटी ऊषा आदि जैसी प्रतिष्ठित महिलाओं का जिक्र करते हुए उनमें पद विन्हों पर बलने हेतु प्रेरित किया और साथ ही उनके द्वारा अवगत कराया गया कि हमारे देश की महामहिम राष्ट्रपति व जनपद बदायूं की जिलाधिकारी भी एक महिला है एवं जनपद न्यायालय बदायू में पुरुष न्यायिक अधिकारियों की अपेक्षा महिला न्यायिक अधिकारी की संख्या सर्वाधिक है. इस प्रकार महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में अपने आप को पुरुषों की तुलना में कम नहीं समझाना चाहिए। एवं दिनांक 08 मार्च 2025 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर पर सुलह समझौते के आधार पर अपने वादों का निस्तारण करा सकते हैं, तथा सूक्ष्म एवं लघु प्रकृति के बादों को सम्बन्धित न्यायालय के निर्देशानुकम में जनपद न्यायालय परिसर में मध्यस्थता केन्द्र खुला हुआ है। उक्त मध्यस्थता केन्द्र सदस्यों/अधिवक्ताओं द्वारा दोनों पक्षों को बिठाकर समझौता कराया जाता है। इसी कम में बताया कि महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान अति आवश्यक है।

उक्त कार्यक्रम का संचालन, श्रीमती अंजना यादय, द्वारा किया गया। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम नायब तहसीलदार, सदर बदायूं, श्रीमती पूजा शर्मा, प्रभारी महिला थाना, बदायू, श्री विजेन्द्र सिंह एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के कनिष्ठ सहायक, श्री देवेन्द्र कुमार एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्री संजीव कुमार एवं पराविधिक स्वयं सेवकगण, राजकीय पॉलीटेकनिक कॉलेज, जनपद बदायूं का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।