खो रही हूं धीरे धीरे खुद को कहीं जिंदगी की आपाधापी में,और इस बात की गवाही वो "आइना" देता है जो मुझे देख मेरी "बेतरतीबी" पर मुस्कुराता है.. गुंजन शिशिर