असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने की थी पटना देवकली में शिव मंदिर की स्थापना
बदायूँ : 04 दिसम्बर। गुरुद्वारा हाल जोगीपुरा में आयोजित सत्संग के दूसरे दिन आध्यात्मिक संत बाबा फुलसंदे वाले महाराज ने कहा ईश्वर का स्मरण करते रहना ही मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैए शेष सब कुछ व्यर्थ है। इसलिए इधर-उधर की बातें छोड़कर एक मात्र प्रभु का ही स्मरण करना चाहिए।
बाबा फुलसंदे वाले महाराज ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य के बारे में बिस्तार से बताते हुए कहा कि जनपद बदायूँ की सीमा पर वर्तमान कस्बा उसाबाँ के निकट पटना देवकली में गुरु शुक्राचार्य ने शिव के मंदिर की स्थापना की थी, जो आज भी पटना देवकली मंदिर के नाम से विख्यात है। गुरु शुक्राचार्य ने पटना देवकली को अपनी तपोस्थली बनाया। देवताओं ने यहाँ अष्टमुखी शिवलिंग की स्थापना की।
साथ ही उन्होंने कहा कि ईश्वर की भाषा मौन है । परमात्मा बिना कुछ बोले, बिना कुछ कहे सबको पहचान लेता है, हर किसी की इच्छा को जान लेता है। परमात्मा की शरण में जाने के लिए संतों की कृपा जरुरी होती है।
बाबा ने एक प्रसंग के माध्यम से स्पष्ट करते हुए कहा कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जमीन, सूरज, चंद्रमा किसी का नाम, किसी की जाति, किसी का देश, धर्म या ग्राम पूछकर सेवा नहीं करते, ये तो निस्वार्थ भाव से सबकी सेवा में लगे रहते हैं। मनुष्य को जीवन में मानवता के गीत गाकर सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए और भगवान का स्मरण करना चाहिए।
उन्होंने कहा परमात्मा आत्मा के रिश्ते को अच्छी तरह जानता है, प्रत्येक मानव की प्रेम भावना और सेवा समर्पण को पहचानता है । ऐसा कुछ भी नहीं है जो परमात्मा से छिपा हो ।
देर तक चले प्रवचन में श्रृद्धालु वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि पर संकीर्तन का भी आनंद लेते रहे।
कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक खुराना ने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सुशील धींगड़ा, विवेक खुराना, अशोक कुमार, अरविंद गुप्ता, गौरव धींगड़ा, अमृत गाँधी, अमित कपूर, एम.पी. शर्मा. शिवस्वरूप गुप्ता, सचिन भारद्वाज, सुरेन्द्र नाज़, अमृत गांधी, सुरेन्द्र नाज़, विष्णु देव चाडक्य, सहित कीर्ति धींगड़ा, दीप खुरान, हेमा अरोरा, कविता गाँधी, षिखा कपूर सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे।