उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ जनपद बदायूं के समस्त ब्लॉक के बीआरसी पर बेसिक शिक्षकों ने खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश लखनऊ के नाम ज्ञापन सौंपा और बीआरसी पर पुरजोर धरना प्रदर्शन हुआ, इसमें संघ के जिलाध्यक्ष प्रेमानंद शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि महानिदेशक महोदय स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा लगातार बेसिक शिक्षा विभाग में प्रयोग के नाम पर प्रदेश के लाखों शिक्षकों को प्रताड़ित करने का कार्य कर रहे हैं। जबरदस्ती प्रदेश के बेसिक शिक्षकों पर कर्मचारी आचरण एवं अनुशासन नियामावली बेसिक शिक्षा परिषद नियमावली के विरुद्ध जाकर मनमाने आदेश निकाल कर थोपने की कोशिश कर रहे हैं जबकि प्रदेश का बेसिक शिक्षक को प्रदेश के संवैधानिक संस्था के बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की नियमावली के अंतर्गत कार्य कर रहा है कोई भी नियम बनाने, परिवर्तन, संशोधन करने या लागू करने हेतु प्रस्ताव परिषद में लाकर एवं बैठक कर पारित किया जाना चाहिए परंतु पिछले 5 वर्षों से बेसिक शिक्षा परिषद को अस्तित्वहीन कर दिया गया है। परिषद के सदस्यों के अधिकारों को छीन लिया गया है या अतिक्रमण कर लिया गया है। यह बेसिक शिक्षा परिषद पहले लगभग 5 वर्षों से अस्तित्वहीन कर दी गई है। यह किसी संवैधानिक संस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है किसी एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षी की भेंट बेसिक शिक्षा परिषद को नहीं चढ़ाया जा सकता विभाग द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में टैबलेट दिए गए हैं जिनमें सिम और डाटा उपलब्ध नहीं कराया गया है परंतु महानिदेशक महोदय जबरदस्ती प्रदेश के बेसिक शिक्षक से अपनी आईडी से, निजी नाम से, सिम और डाटा शिक्षक के पैसे से खरीदने का दवाव बना रहे हैं। प्रदेश का बेसिक शिक्षक सरकारी कार्य में अपना व्यक्तिगत विवरण देने हेतु बिल्कुल ही सहमत नहीं है 10 नवंबर 2023 को पत्र जारी कर प्रदेश के सभी शिक्षकों को अपने निजी मोबाइल, निजी सिम, निजी नंबर, निजी आईडी, निजी डेटा से 8:45 से 9:00 बजे प्रातः के मध्य ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज़ करने के निर्देश दिए गए हैं। संगठन के जिला महामंत्री फरहत हुसैन ने बताया कि वर्ष 2013 से जनपदों के अंदर स्थानांतरण नहीं हुए। वर्ष 2015 से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं की गई 17140 और 18 150 के वेतन की विसंगति 15 वर्षों से नहीं दूर की गई, जिसमें प्रदेश का 40,000 शिक्षक प्रभावित है पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत भी कार्यवाही लंबित करना, कैशलेस चिकित्सा सुविधा न देना, वर्षों से प्रोन्नत वेतनमान शिक्षकों को ना दिया जाना, ई एल की सुविधा शिक्षकों को ना देना, शासनादेश में मध्याह्न भोजन बनवाने की व्यवस्था ग्राम प्रधान द्वारा होने के बाद भी उक्त कार्य शिक्षकों से करवाना फिर मध्याह्न भोजन के नाम पर प्रताड़ित करना। अनुदेशकों, शिक्षामित्र के मानदेय में वृद्धि न करना 1 अप्रैल 2005 से पूर्व विज्ञापित विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन से आच्छादित करने संबंधी सूचना से जानबूझकर वंचित करना। उपरोक्त समस्याओं का समाधान न होने के कारण नियम विरोध, मनमाने आदेशों से आहत होकर सरकारी संस्था संसाधनों के अभाव में प्रदेश का बेसिक शिक्षक नियम विरुद्ध आदेशों का बहिष्कार करता है। प्रदेश सरकार से अनुरोध है के महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा लगातार किए जा रहे नियम विरुद्ध आदेशों को निरस्त करते हुए निर्देश देने का कष्ट करें और शिक्षकों की सभी न्यायोचित समस्याओं का बिंदु बार समाधान करने हेतु भी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें जब तक सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता तब तक प्रदेश का बेसिक शिक्षक इसी तरह ऐसे ही सभी आदेशों का बहिष्कार करता रहेगा जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे प्रदेश के बेसिक शिक्षकों के निजी मोबाइल में जबरन डाउनलोड कराई गई सभी सरकारी एप्प को अनस्टॉल करने का काम करेंगे तथा जिले एवं प्रदेश स्तर पर शांतिपूर्ण आंदोलन करने की घोषणा करेंगे इस प्रकार के नियम विरुद्ध आदेशों से प्रदेश का लाखों बेसिक शिक्षक एवं उनके परिवार आक्रोर्षित एवं आंदोलित हैं ऐसे आदेशों को जारी करते हुए यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि इस साइबर क्राइम के युग में विभाग में कार्यरत महिला शिक्षकों की फोटो की सुरक्षा कौन करेगा? साथ ही विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों की फोटो सहित उपस्थित से 14 साल से कम आयु के बच्चों को भेजने से बाल अधिकार अधिनियम का उल्लंघन होगा उसका जिम्मेदार भी शिक्षक को ही ठहराया जाएगा अनुकूलित कक्ष में बैठकर प्रदेश के उच्च अधिकारी बेहद कठिन एवं दूरस्थ क्षेत्रों में पढ़ रहे नन्हे मुन्ने बच्चों का भविष्य तय कर रहे हैं इसके लिए उन अधिकारियों को धरातल पर जाकर बच्चों के अभिभावकों एवं कार्य कर रहे शिक्षकों की कठिनाइयों को भी देखना होगा उपस्थित संबंधी आदेश करते समय यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि विभिन्न प्रकार की भौगोलिक स्थिति वाले प्रदेश में आज भी सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां जाने की साइकिल के भी रास्ते नहीं हैं हजारों ऐसे गांव हैं जिनमें आज भी यातायात के साधन नहीं हैं प्रदेश के ऐसे सैकड़ों विद्यालय हैं जिनमें पहुंचने के लिए शिक्षकों के द्वारा कई नदियों को नाव से पार करके जाना पड़ता है यदि सभी शिक्षक विद्यालय समय पर जा रहे हैं जिसका महानिदेशक महोदय द्वारा कई महीनों तक लगातार कराए गए सघन निरीक्षणों से स्पष्ट है परंतु यदि कोई शिक्षक गांव की गलियारों में गन्ने धान आदि की भरी ट्राली ट्रैक्टर, बैलगाड़ी के फंसे होने की दशा में, साइकिल खराब होने की दशा में या नदी पर नाव न मिलने की दशा में, रास्ते में लेट हो होगा तो यह अनुपस्थित माना जाएगा तब शिक्षक विलंब से ही सही विद्यालय में उपस्थित होने के बाद भी अनुपस्थित होकर उसे दिन के वेतन से वंचित हो जाएगा ऐसे आदेश केवल शिक्षकों को प्रताड़ित करने तथा सरकार के प्रति शिक्षकों एवं उनके परिवारों को आक्रोर्षित करने के लिए किया जा रहे हैं इसके अलावा उत्तर प्रदेश के किसी भी विभाग में किसी भी कर्मचारी अधिकारी की उपस्थिति ऑनलाइन नहीं ली जा रही है परंतु बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी शिक्षक को गुरु न मानकर कर उन्हें चोर समझते हुए इस प्रकार की व्यवस्था जबरन लागू करके भयभीत कर रहे हैं साथ ही दूसरी तरफ महानिदेशक प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को न्यायोचित किसी भी समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं और नई सरकार के सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं। इस अवसर पर प्रेमानंद शर्मा, फरहत हुसैन, प्रियंका, विकारुद्दीन, अरुण कुमार, प्रमोद कुमार, अर्चना, राजन यादव, अनुपम कुमार, राजीव कुमार, राकेश कुमार, जुबेर खान, अयूब, रश्मि, साकिब अली, अनिल कुमार, शिव नारायण, रागिनी, मुक्तादिर अली खान, एहसान खान, परवेज अनवर सहित सभी ब्लॉकों के हजारों शिक्षकों ने अपने अपने ब्लॉकों के खंड शिक्षा अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।
