पैग़म्बर मुहम्मद स.अ.व और नवासे पैग़म्बर मुहम्मद इमाम हसन अ.स की शहादत के मोके पर मजलिस ए अज़ा व शाहबीह ए ताबूत की ज़ियारत कराई गई।
बदायूं। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद स.अ.व की वफात (स्वगंवास) व पैग़म्बर मोहम्मद के बड़े नवासे इमाम हसन अ.स की शहादत की याद में इमामबाड़ा अबिदिया, बदायूं में जुमे की रात को मजलिस ए अज़ा बरपा हुई। इमामबाड़ा परिसर में नाना व नवासे का प्रतीक के रूप में हरे रंग का ताबूत निकाला गया।
मजलिस को संबोधित करते हुए ज़ाकिर ए एहलेबैत ग़ुलाम अब्बास साहब ने कहा की एहलेबैत की शिक्षाऔ पर अमल करते हुए हम जिस तरह पैग़म्बर की पैदाइश की खुशी मानते हैं, उसी तरह उनकी वफात पर ग़म भी मानते हैं। हमने पैग़म्बर मोहम्मद से ही इस्लाम व एहलेबैत को पहचाना है, यह हमारे लिए गर्व की बात हैं। इमाम हसन की शहादत का ज़िक्र करते हुए कहा कि सीरिया का बादशाह ने इमाम हसन के खिलाफ बगावत कर दी। बाद में अपनी हार की डर से बादशाह ने इमाम को सुलह का संदेश भेजा, जिसे इमाम ने स्वीकार्य कर लिया। सुलह की शर्तो में यह लिखा गया कि आज के बाद बादशाह और बादशाह के लोग मिम्बरो से मौला अली अ.स को गालियां नहीं देंगे, क़ुरान और सुन्नत ए पैग़म्बर के अनुसार हुकूमत चलेगी। हुकूमत बादशाह के पास रहेंगी और शरियत की ज़िम्मेदारी नवासे रसूल अ.स इमाम हसन अ.स के पास रहेगी। बादशाह अपने बाद अपना उत्तराधिकारी किसी को नही बनाएगा।