Gunjan Agrawal "लहरों" की उत्कंठा हमेशा सिर्फ और सिर्फ, "किनारे" पर आकर ही समाप्त होती है, "समुद्र" उस आकुलता कभी समझ ही नहीं पाता, जबकि लहरें हर क्षण उसी समुद्र को समर्पित रहती हैं.!! गुंजन शिशिर