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नवरात्र में उपवास का महत्व

🍁 नवरात्र में उपवास का महत्व 🍁
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नवरात्र में उपवास रखने की परंपरादिकाल से चली आ रही है। नवरात्र में विधि-विधान से माता की पूजा के साथ व्रत भी रखा जाता है।

कुछ लोग पहले दिन और अष्टमी के दिन उपवास रखते हैं तो वहीं नवरात्र में कुछ लोग पूरे 9 दिन का उपवास करके मां शारदा की आराधना करते हैं।

क्या कभी आपने सोचा है कि नवरात्र में व्रत रखने के पीछे क्या वजह है, नवरात्र में उपवास रखने का विशेष महत्व है। देवी पूजा के साथ व्रत करके माता से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

नवरात्र में देवी पूजन करने का विधान है। व्रत-उपवास भी इसके ही अंतर्गत आता है।

मान्यता है कि नवरात्र रखे जाने वाले यह व्रत हमारी आत्मा की शुद्धता के लिए होते हैं।

एक साल में दो बार हम इन व्रत के दौरान अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं। व्रत करने से मन, तन और आत्मा की शुद्धि होती है।

व्रत पालन करने से शारीरिक, मानसिक और धार्मिक सभी प्रकार से लाभ होता है। नवरात्र के व्रत से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है मन भी शांत बना रहता है।

नवरात्र पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व माना जाता है।

नवरात्र के नौ पावन दिन स्वयं को शुद्ध, पवित्र, साहसी, मानवीय,आध्यात्मिक और मजबूत बनाने की अवधि होती है।

त्योहार के दौरान देवी से आशीर्वाद के साथ उनके चरित्र के गुणों को अपने व्यक्तित्व में शामिल करना चाहिए। इससे तपकर कुंदन बनकर निकल पाए तो नवरात्र हमारी आत्मा को तृप्त कर पाने में सफल रहेंगे।

दरअसल नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय पड़ते हैं। ऐसे समय में बीमार होने की संभावना काफी अधिक होती है। इसलिए घी की ज्योत अखंड दीप, कपूर जलाने एवं हवन करने की परंपरा है शुद्ध घी एवं हवन के धुएं से जीवाणु वायरस मर जाते हैं। कोरोना में देखा भो होगा गुग्गल लोबान कपूर का धुआं किया जाता था। किन्तु वायरस तभी खत्म होते हैं जब यह सब सामाग्री शुद्ध ओरिजनल हो।

आजकल तो पूजा में प्रयोग होने वाला घी सबसे सस्ता लाया जाता है, चर्बी का घी होता है वो अब देवताओं को माता को वो घी खिलाओगे और चाहोगे माता के आशीर्वाद मिले सब परेशानी कष्ट दूर हो जाएं..तो फिर कैसे आपका भला होगा। फिर जीवन।में परेशानीयां लगी रहेंगी।

लोगों को कई तरह के संक्रामक रोग भी हो जाते हैं। इसलिए नवरात्र के 9 दिन तक व्रत रखने से खानपान भी संतुलित होता है।

व्रत से शरीर स्वस्थ बना रहता है। पाचन तंत्र को सुचारु रूप से चलता है। कब्ज, गैस, अपच आदि की समस्या से निजात मिल जाती है।

व्रत रखने से मां की अनुकंपा मिलती है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

आध्यात्मिक शक्ति और ज्ञान बढ़ने के साथ विचारों में भी पवित्रता आती है।

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि मां आदि शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए स्वयं देवताओं ने भी नवरात्र के व्रत किए थे।

देवराज इंद्र ने पूजा भगवति को स्वर्गलोक के राजा देवराज इंद्र ने राक्षस वृत्रासुर का वध करने के लिए मां दुर्गा की पूजा अर्चना की और नवरात्रि के व्रत रखे।

त्रिपुरासुर दैत्य का वध करने के लिए भगवान शिव ने मां भगवति का पूजन किया।

जग के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने मधु नाम के असुर का वध करने के लिए नवरात्र का व्रत किया था।

रावण का वध करने के लिए भगवान श्रीराम ने आश्विन नवरात्र का व्रत किया था। देवी के व्रत से भगवान राम को वह अमोघ वाण प्राप्त हुआ था जिससे रावण मारा गया।

महाभारत में कौरवों पर विजय पाने के लिए पांडवों द्वारा देवी का व्रत करने का उल्लेख मिलता है।

देवी भागवत पुराण में राजा सुरथ की कथा मिलती है, जिन्हें नवरात्रि के व्रत रखने से अपना खोया हुआ राज्य और वैभव फिर से प्राप्त हुआ था।
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।। जय माता दी ।।
आपका दिन मंगलमय हो
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गूगल से साभार

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