बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
यह बात सही है कि पुलिस के लिए अपराधिक वारदातों को होने से रोकना सभव नहीं है क्योंकि कभी तो अपराधिक वारदातें मामूली सी बात के विवाद में हो जाती हैं जबकि कई मामलों में पूरी योजना के साथ वारदात को अंजाम देने की कहानी सामने आती है। यह बात पूरी तरह सत्य लगती है लेकिन एक बात है कि पुलिस द्वारा घटना को अंजाम देने वालों तक पहुंचना और उनको अंजाम तक पहुंचाने की कार्रवाई जब होती है तो आगे से अपराधिक वारदातों को अंजाम देने से पहले योजना बनाने वाले दस बार सोचने को मजबूर हो जाते हैं और यही सोच पुलिस का मनोबल बढाती है जबकि अपराधियों का हौंसला तोड देने का काम किया करती है।
बदायूं के एसएसपी के रूप में कमान सम्भालने के बाद डा ब्रजेश कुमार सिंह की कार्यप्रणाली इसी बात के चलते अपराधियों को भारी पड रही है क्योंकि अधिकांश अपराधिक वारदातों में उनके अधीनस्थ वर्दीधारियों की टीम ने कई बार 24 घंटे का समय बीतने से पूर्व अपराधियों तक पहुंचने और वारदात को अंजाम देने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम पूरी निष्ठा से किया है और यही कारण है कि आज बदायूं का आम आदमी एसएसपी डा ब्रजेश कुमार सिंह की कार्यप्रणाली और उनकी टीम को सैल्यूट कर रहा है। क्योंकि इसी से जनपद में नागरिकों को सुरक्षा और अपराधियों में पुलिस का खौफ नजर आ रहा है।