क्यों
क्यों हर बार सत्य को ही,
खुद को साबित करना होता है।
क्यों हर बार बेईमानों को ,
ईमानदारी का तमगा मिलता है।
ऐसा क्यों हर बार होता है ,
अग्नि परीक्षा सीता देती है ।
मानवता की वेदी पर नित ,
सच्चा मन आहुति देता है ।
फूंक फूंक कर कदम रखे जो,
उसको ही कांटे चुभते हैं ।
भूख प्यास से व्यथित बाल को,
एक नहीं निवाला मिलता है ।
क्यों हर बार सांप को ही ,
दूध भरा प्याला मिलता है ।
प्रियंका सिंह
