मैं तुमसे मिल नहीं पाता
हमारे गांव का रास्ता, तुम्हारे शहर तक जाता।
मगर मेरी ये मजबूरी, मैं तुमसे मिल नहीं पाता।
तुम्हें देखा, तुम्हें चाहा, तुम्हें हर बार समझा हूं।
पर तेरी जुबां पर आज तक, मेरा नाम ना आता।
यही मेरी है मजबूरी, मैं तुमसे मिल नहीं पाता।
तुम्हें खुशियों की आदत है, हम गम के भी साथी हैं।
हमारे दर्द का मरहम, ये चेहरा बन नहीं पाता।
यही मेरी है मजबूरी, मैं तुमसे मिल नहीं पाता।
हमारे गांव का रास्ता, तुम्हारे शहर तक जाता।
मगर मेरी ये मजबूरी, मैं तुमसे मिल नहीं पाता।
प्रियंका सिंह
