बदायूँ: 30 अप्रैल। उत्तर प्रदेश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी लगातार किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उसके लिए प्रदेश सरकार ने किसानों को तिलहन क्षेत्र का दायरा बढ़ाने, किसानों को अधिक उपज के बीज उपलब्ध कराने, समय से सिचाई करने एवं उर्वरक, कीटनाशक दवाओं के वितरण आदि की व्यवस्था की है। प्रदेश सरकार ने तिलहनी फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए किसानों को 6.79 लाख तिलहन मिनीकिट निःशुल्क बीज भी वितरित किया है। तिलहनी फसलों की अधिक उपज के लिए किसानो को प्रशिक्षित भी किया गया है। खाद्य तेल एक ऐसा द्रव्य है जो गरीब की झोपड़ी से ले कर शहरों के बड़े अमीरो तक सब के रसोई का महत्वपूर्ण अंग है। बिना खाद्य तेलो के रसोई का व्यंजन अधूरा होता हैं। खाद्य तेलो में प्रमुखता मूगफली, सोयाबीन, तिल, अरण्डी, तोरिया, सरसों, सूरजमुखी, ताड़ नारियल, आदि हैं।
सरसों का तेल उत्तर प्रदेश के निवासियों के रसोई का एक महत्वपूर्ण अंग है। सरसों कृषि उपज की महत्वपूर्ण फसल है। रबी की फसल में इसका प्रमुख स्थान है। तिलहन का देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। कम लागत में और कम सिंचाई के कारण, सरसों की खेती, किसानों में बहुत लोकप्रिय हो रही है। रबी की अन्य फसलों की अपेक्षा सरसों की फसल अधिक आय देने वाली है। सरसों की खेती प्रदेश के किसान मिश्रित रूप से बहुफसली व सिंगल फसली कर रहे हैं। पीली सरसों, तोरिया की तरह कैचक्राप के रूप में खरीफ एवं रबी के मध्य बोई जाती हैं। इसकी खेती करके किसान अतिरिक्त लाभअर्जित कर रहे है। उत्तर प्रदेश की मिट्टी तिलहनी फसलों के लिए उपयुक्त हैं। प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में, परिचमी क्षेत्र, पूर्वांचल क्षेत्र व मध्य क्षेत्र की मिट्टी सरसों, तोरिया, तिल, मूंगफली, तिलहनी आदि फसलों के लिए अच्छी है। प्रदेश में खरीफ फसलों में मूंगफली, सोयाबीन, तिल, अरण्डी, तोरिया प्रमुख तिलहनी फसल है।
प्रदेश में सरसों की खेती रबी फसल के साथ बोई जाती है। उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती में बढ़ोत्तरी हुई है। नकदी फसल होने के कारण किसानों के मध्य सरसों की खेती में रूचि बढ़ी है। प्रदेश में लाखों हेक्टेयर भूमि में सरसों की खेती हो रही है। और किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश में तिलहन के अन्तर्गत वर्ष 2016-17 में 12.40 लाख मै०टन तिलहन का उत्पादन प्राप्त हुआ था जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़कर 28.33 लाख मै0टन हो गया है। इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 15.93 लाख मै०टन अधिक तिलहन का उत्पादन प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार वर्ष 2016-17 में 9.35 कुन्टल प्रति तिलहन की उत्पादकता प्राप्त हुआ जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़कर 12.12 कुन्टल प्रति हेक्टेयर हो गया है। इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 27.06 कुन्टल प्रति हेक्टेयर से अधिक तिलहन की उत्पादकता प्राप्त हुआ है।
तिलहन उत्पाकदकता में अधिक उत्पादन होने पर राष्ट्रीय पुरस्कार के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में सर्वाधिक तिलहन उत्पादन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर कृषि एवं किसान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उ०प्र० को रू0 2.00 करोड़ का कृषि कर्मण पुरस्कार तथा देश में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन हेतु रू0 1.00 करोड़ का प्रोत्साहन पुरस्कार मा० प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रदान किया गया।