बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ
बदायूं में बीते माह कंप्यूटर कोचिंग सेंटरों में कौशल विकास योजना के तहत ओ लेवल की परीक्षाएं कराई गई थी, उस वक्त परीक्षार्थियों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।। जिसमें काफी बच्चों को सुविधा शुल्क के एवज में नकल कराये जाने का आरोप लगाया गया। अब परिणाम घोषित होने पर मामला पूरी तरह सही साबित होता नजर आया है, बताते हैं कि उन्हीं बच्चों के नंबर अच्छे आए है जो सेंटर वालों की जेब गर्म कर चुके थे। उनका परिणाम काफी शानदार आया है। योगी सरकार का स्वच्छ प्रशासन देने का आदेश को इन प्राइवेट कोचिंग सेंटरों ने पलीता लगा दिया। बच्चों को अब किताबों की पढ़ाई नहीं, भ्रष्टाचार की पढ़ाई करनी चाहिए। रुपए देके ही पास हो जाओ। कौशल विकास योजना परीक्षा योगी सरकार के द्वारा ओबीसी छात्रों के लिए प्रदान की गई है और बदायूं के सेंटरों ने रुपए कमाने का अच्छा जरिया बना रखा है वहीं कुछ छात्रों ने जिलाअधिकारी से मांग की कि वह इसकी जांच कराकर आंसरशीट को दुबारा जंचवाने की कृपा करें। मामले की जांच में दूध का दूध पानी का पानी हो जाऐगा। परीक्षा कै दौरान की सीसीटीवी फुटेज मौजूद होगी अगर केन्द्र संचालित करने वालों ने सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दी तो समझो वह दोषी है। आज दर्जनों परीक्षार्थियों ने नवागंतुक डीएम से मांग की कि इस घालमेल की जांच कराकर बच्चों के साथ न्याय कराऐ। मजेदार बात तो यह है कि कौशल विकास योजना में प्रवेश लेने हेतु पंजीकरण कराने के बाद प्रशिक्षण करने वाले छात्र – छात्राओं की हालत निजी कम्प्यूटर केंद्र के संचालक के समाने बंधुआ मजदूर जैसेी हो जाती है क्योंकि एक बार पंजीकृत होने के बाद छात्र एवं छात्राओं को उसी केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त करना उनकी मजबूरी हो जाती है क्योंकि कौशल विकास योजना के अंर्तगत एक बार पंजीकरण कराने के बाद किसी दूसरे केंद्र में परिवर्तत कराने की व्यवस्था नहीं है और निजी केंद्र कम्प्ूटर केंद्र संचालकों ने योजना की इसी कमी को अपनी कमाई का रास्ता बना रखा है।
