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लू से बचाव हेतु करें ओ0आर0एस0 घोल, नारियल पानी, लस्सी, चावल के पानी का प्रयोग

बदायूँ: 28 मार्च। अपर जिलाधिकारी (वि०/रा०) वैभव शर्मा ने गर्म हवाओं/लू से बचाव हेतु क्या करें, क्या न करें पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पर्याप्त मात्रा में पानी/तरल पदार्थ जैसे छाछ, नीबू का पानी, आम का पना का उपयोग करें। हल्के रंग के सूती एवं पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहलें एवं सर को ढकें एवं कड़ी धूप से बचने के लिए छाता का प्रयोग करें। लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिपटा कर सूती गीले कपड़े से पोंछें अथवा नहलायें तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें।
उन्होंने बताया कि लू लगने से लक्षणों को पहचाने, यदि कमजोरी लगे, सिर दर्द हो, उल्टी महसूसू हो. तेज पसीना और झटका जैसा महसूस हो, चक्कर आये तो तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करें। बीमार गर्भवती महिला कार्मिकों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। विशेष तौर पर दोपहर 12 बज से 03 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें। यात्रा करते समय पीने का पानी हमेशा अपने साथ ले जायें। खुद को सही रखने के लिए ओ0आर0एस0 घोल, नारियल पानी, लस्सी, चावल के पानी का प्रयोग करें।
उन्होंने बताया कि स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुने और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के लिए सतर्क रहें। बच्चों तथा पालतू जानवरों को बन्द गाडियों में न छोड़े।। जहाँ तक सम्भव हो घर में ही रहें और सूर्य के सम्पर्क से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहाँ तक सम्भव हो घर की निचली मंजिल पर ही रहें। सन्तुलित, हल्का व नियमित भोजन करें। अधिक प्रोटीन वाले तथा बासी खाद्य पदार्थ से बचें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें। जानवरों को छाया में बांधे और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलायें।
उन्होंने बताया कि अत्यधिक परिश्रम वाले कार्यों को दिन के ठण्डे मसय में निर्धारित करें। गर्भवती एवं ऐसे कर्मचारियों को जिन्हें चिकित्सा देख-भाल की जरूरत हो उनका ध्यान रखें। इस समय अपने पशुओं के लिए विशेष सावधानी बरतें। जानवरों को पीने के लिए साफ और ताजा पानी उपलब्ध हो, पानी को धूप में न रखें। दिन के समय पशुओं के पीने के पानी में बर्फ का टुकड़ा डालें। जिससे पानी ठंडा बना रहे।

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