बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ आज सनातन धर्म को मानने वाले भाई – बहन के प्यार का वह पर्व मना रहे है जो सदियों पुराना है और वर्तमान में समाज की आवश्यकता बना हुआ है। दीपावली के पांच दिवसीय पावन पर्व श्रंखला के अंतिम दिवस बहने अपने …
Read More »सिलाई मशीन में धागा- Sugandha Sharma
Sugandha Sharma “सिलाई मशीन में धागा… नहीं डालने पर वो चलती तो है… पर कुछ सिलती नहीं…. उसी तरह, यदि रिश्तों में प्यार नहीं डालोगे. तो ज़िन्दगी चलेगी ज़रूर पर.. रिश्तों को जोड़ नहीं पाएगी…!!” #सुप्रभात_जिंदगी
#सुगंधा #हर_हर_महादेव #स्वीट_संडे #जय_हिंद
इस युग का नाम – Koki Tyagi
Koki Tyagi इस युग का नाम कलियुग वैसे ही नहीं पड़ा है,यहां लोग अच्छा करने से ज़्यादा अच्छा बनने का दिखावा करते हैं..।। सुप्रभात
हमेशा इकाई में Sugandha Sharma
Sugandha Sharma वे हमेशा इकाई में सिमटे रहे, अपने होने का जिनको गुमां हो गया। और जिसने सहज होके अपना लिया, ‘शून्य’ के साथ वो दस गुना हो गया। #सुप्रभात_जिंदगी #सुगंधा #हर_हर_महादेव #लवली_वीकेंड #जय_हिंद
Read More »यही लगता है – Koki Tyagi
Koki Tyagi जिन लोगो ने तुम्हारे साथ ग़लत किया होता है, उन लोगो को हमेशा यही लगता है कि तुम्हारा डाला हुआ स्टेट्स उन्हीं के लिए है।। सुप्रभात
स्त्री की मुस्कान- Sugandha Sharma
Sugandha Sharma दुनिया में हर समस्या का समाधान है “एक स्त्री की मुस्कान #सुप्रभात_जिंदगी #सुगंधा #जय_माता_लक्ष्मी #दीपावली #जय_हिंद #जय_श्री_गणेश
शुभ दीपावली- Koki Tyagi
Koki Tyagi सुख, शान्ति एवं समृद्धि की मंगलमय कामनाओं के साथ आप एवं आप के परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाइयाँ दीपोत्सव के इस पावन पर्व पर ईश्वर आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करे । शुभ दीपावली
दीपों का त्योहार दीवाली, हर घर में आये खुशहाली !
बदायूं की बात – सुशील धींगडा के साथ आज धनतेरस के पर्व के साथ सनातन धर्म के सबसे बडे पांच दिवसीय पर्व की श्रंखला का शुभारम्भ हो रहा है और हमारा सनातन धर्म किसी जाति, किसी धर्म, किसी प्रदेश, किसी देश की नहीं विश्व के कल्याण और सभी प्राणियों के …
Read More »संघर्ष – Sugandha Sharma
Sugandha Sharma *संघर्ष पृथ्वी पर विचरने वाले सभी जीवों के लिए प्रकृति का आमंत्रण है, जो इस आमंत्रण को स्वीकार करता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है……….!! #सुप्रभात_जिंदगी #सुगंधा #हर_हर_महादेव #जय_हिंद
समाज के डर से अपने फेसले – Koki Tyagi
Koki Tyagi हम उस समाज के डर से अपने फेसले बदल देते है।जो समाज ग़रीबी में पहचानता नहीं अमीरी में तलवे चाटता है।। सुप्रभात